भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्रिकेट / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
बिल्ली यह बोली चूहों से
आओ खेलें खेल,
प्यारा क्रिकेट, खेल निराला
मन का होगा मेल।
लकड़ी की थी गेंद और था
खूब बड़ा-सा बल्ला,
खेल शुरू जब हुआ फील्ड में
मचा धमाधम हल्ला।
चूहे ने दिखलाई फुरती
कसकर मारा छक्का,
होश उड़े फिर तो बिल्ली के
रह गई हक्का-बक्का।
भूल गई वह अपना वादा
झट चूहों पर झपटी,
चूहे बोले-भागो, भागो,
यह तो निकली कपटी।
सिर पर रखकर पैर वहाँ से
चूहे झटपट भागे,
हाँफ रही थी बिल्ली पीछे
चूहे निकले आगे!