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क्रिया-कलाप के गीत / भाग - 1 / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

1.

पाट की करी ओ नारी
करीऽ ओ दिलदारी
रूपया मोन्ज्या ओ कलदारी।।

2.
पानी पड़य अनुन्नात
बन्ना की भीजय बन्नात।

3.
मऽराऽ बन्दुजी की ओ घोड़ी
सरग की हय ओ चिड़ी।।
मऽरा मरनऽ की ओ चिंटी
मऽरा जवाया का ओ हाथी।।
ओनऽ बाँच ली दीया जाती
मैनाऽ रोवय अर्द्धा राती।।

4.
बाई गाँव भततर की खारी
एनी खारी का हाय पीक भारी
नारियल दीहे गुनहगारी।

5.
पाँढरी की ओ माता मय
पानी सारय ओ मंगरवार।।

6.
घरऽ की बहू अन बेटी
पूजा करय ओ दिल भरऽ
मऽराऽ बारा खऽ अच्छो राखजो

7.
पाँढरी को हयऽ यू हनुमानऽ
हनुमान ते लट्या धारी।
पानी सारय शनिवारी।।

8.
मऽराऽ घरऽ आयो पाव्हना
सयजी पूछय, कोनऽ कोनऽ बाई।
मऽराऽ मैय्या संगऽ ओकी भौजाई।।

9.
साधु खऽ साधु पूछय
पंढरपुर केत्ताक दूर
डंका बाजय ओ दिल्ली दरऽ

10.
फागुन महीना आयी
होरी एना गाँव का बोहरी
जनवासा धर्यो भारी।।


11.
माहेरी जाना साटी
पाय की करी तेजी
रस्ता मऽ बबूर काटी
पाय की चिलंगाठी फाटी।।

12.
जीवय रे मऽरोऽ बाण्डो डुण्डो बीरऽ
लेय मखऽ दक्खन को चीरऽ

13.
आनऽ ओ माता मऽरीऽ
पूरी ओ तोरी आशा
जाय ओ जताम सोहर बासा
रात को पहर्यो कूकू को लोर्यो
दिनऽख पहर्यो सोहर वासा।।

13.
माता-माय करजो तू किरपा
होय रह्यो जीवन हमरो झिलपा।
झल्दी-झल्दी साराजो तू कामऽ
रोज हम लेवा तोरो नामऽ

14.
लगाया झाड़, खेत मऽ आम्बा
चरऽ गयो बईल ऊ जाम्बा
बरसाल्या बी ध्यान नी राखत
ढोर हन् नऽ खाया सारा खेत।।

15.
आदमी पूछय कहाँ गयो झाड़ऽ
झूठ-मूट बताऊ मऽ बाड़ मऽ
बागुड़ मऽ लग गई आगऽ
जल गया आम्बा का झाडऽ

16.
गुलजी बाई झुर-झुर मरी
ओकी पोरी पन्ना संगऽ भगरी।
रात मऽ काटू मऽ ते गेहूँ
कथा इनकी कभीच् नी सरी।।

17.
तुरसी आबऽ हो गई आलसी
तुरजा जलम भरऽ तरसी।।
इथराय केत्तो ऊ पदर्या
माय-बाप दुही हय हगर्या
पोर्या समझय लाट साहब आफुन खऽ
पयसा नी पास जहेर फाकन खऽ

18.
नी कटत मऽसी गहूँ
मऽ केत्तिक आफत सहूँ।
जेठ मऽरोऽ बड़ो अयबी
मारन दौड़य उ गयबी
कहाँ तक ओका जुलम सहूँ।।

19.
मऽ राण्डवा भई तबसी।
घरवाला हो गया हवसी।।
ईसर काहे चढ़वय हरदी।
उठाय ले मखऽ झल्दी
यूँ सवसार बन्यो नी नंगत
आदमी देय ऽ सदा दरदी।।