भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्रुद्ध पीढ़ी चाहिए / निज़ार क़ब्बानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम एक गुस्सैल पीढ़ी चाहते हैं
हम चाहते हैं ऐसी पीढ़ी जो क्षितिज का निर्माण करेगी
जो इतिहास को उसकी जड़ो से खोद निकाले
गहराई में दबे विचारों को बाहर निकाले
हम चाहते हैं ऐसी भावी पीढ़ी
जो विविधताओं से भरपूर हो
जो ग़लतियों को क्षमा ना करे
जो झुके नहीं
पाखंड से जिसका पाला तक ना पड़ा हो
हम चाहते हैं एक ऐसी पीढ़ी
जिसमें हों नेतृत्व करने वाले
असाधारण लोग ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : पूजा सिंह