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क्रोध / अष्टभुजा शुक्ल
Kavita Kosh से
पकी फसल
लाट ले गए होते
खेतों से
आँखों के सामने
तो उतना दुख नहीं होता
जितना कि
कच्ची फसल
काटकर छोड़ गए
खेतों में रातों-रात
जाने क्यों
दस्युओं से भी
अधिक क्रोध आता है
तस्करों पर