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क्षण भर का परिचय परिचय क्या? / बलबीर सिंह 'रंग'

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क्षण भर का परिचय परिचय क्या?

पिक को कब याद रहा मैंने कब-कब किस तरु पर कुहू कहा,
तरुवर कब जान सका मैंने, किस पंछी का कब भर सहा,
यांे ही जीवन के तरुवर पर अनगिन पंछी आते जाते,
अपनी-अपनी कह उड़ जाते वे कुछ न पराई सुन पाते,

मिजराव स्वयं कब समझ सका
वीणा के तारों की लय क्या?
क्षण भर का परिचय परिचय क्या?

सरिता की लहरें धो न सकीं, तट के कलुषित जीवन का मल,
शत-शत युग तक तट छू न सका, लहरों के प्राणों की हलचल,
सुमनों की सुरभित ममता को कब माप सकीं मधुपावलियाँ
भ्रमरों की उच्छृंखलता को कब समझ सकीं भोली कलियाँ,

पीने वालों की मस्ती को
पहचान सका मदिरालय क्या?
क्षण भर का परिचय परिचय क्या?

मेरे मधु-गीत खमंडल के तारों में मिल मुसकाते क्यों?
मेरे नयनाश्रु नदीशों के अंतर तम से टकराते क्यों?
क्षण भर के परिचय के कुछ पल जिस क्षण सुधि में आ जाते हैं,
वे पल घन बन कर गीतों की अविरल धारा बरसाते हैं,

पर जो हँसकर अपना न सका
क्षण भर के परिचय का बंधन,
जिसके दृग से आँसू बन कर
ढुलके न क्षणिक परिचय के क्षण,
ऐसा पाहन उर समझेगा-
मेरी कविता का आशय क्या?
क्षण भर का परिचय परिचय क्या?