भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खटखुट / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
खटखुट
- खटखुट
कर रहा है काल
मेरे कान के पास
- ज़मीन छोड़ कर
जल्द चलने के लिए
धक्का दे रहा है
- उसे
मेरा एक बाल
मुझ से अलग रहने के लिए
तमाम उम्र
इंतज़ार में खड़े रहने के लिए
(रचनाकाल : 05.03.1964)