भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खटमल / विद्याभूषण 'विभू'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चौंक पड़ा,
हुआ खड़ा,
ओ हो काट रहा खटमल!

पकड़ लिया,
जकड़ लिया,
अब डालूँगी, तुझे मसल!

पता नहीं,
छिपा कहीं,
चुटकी से चट गया निकल!

-साभार: लो खिलौने’, सं. जयप्रकाश भारती