खण्ड-7 / मन्दोदरी / आभा पूर्वे
हमरोॅ देश
हमरोॅ दानव बंधु !
जेहनोॅ दिव्य देह
होने मोॅन आरो मस्तिक !
जेकरोॅ नै तेॅ
ज्ञान के बराबरी
नै विचार के
नै संस्कृति के
नै संस्कार के
नै व्यवहार के !
फूल के सुगन्ध सें
बेकल हुवै वाला दानव
फूले जकां मोॅन राखै वाला दानव
फूले लेॅ सोचै वाला
हमरोॅ द्वीपवासी
संगीत आरो नृत्य में रमै वाला
हमरोॅ देशवासी !
अमृत के वाणी पैलेॅ छै
हमरोॅ सुम्बा !
आय लागै छै
कत्तेॅ युग बीती गेलै
आपनोॅ देश देखलोॅ होलोॅ।
आह
हमरोॅ देश
हमरोॅ द्वीप
हमरोॅ सुम्बा
जहांकरोॅ राजो
विपत्ति पड़ला पर
सैनिक साथें युद्ध करेॅ पारेॅ
आपने नै
पड़ोसी देशो लेॅ
मरेॅ-खपेॅ पारेॅ,
जहांकरोॅ बूढ़ोॅ-बाप
बेटी लेॅ
सब दुख सहेॅ पारेॅ,
युद्ध करेॅ पारेॅ
आरो शांति सें मरेॅ पारेॅ !
वहा देश में
हम्में लौटी जैबै
वहांकरोॅ पछुवा हवा
हमरा बुलाबै छै
खेत-खलिहान में अनाज ओसैतें
दानव कन्या के हँसी हंकाबै छै
जेना
जोर-जोर सें
हंकैतेॅ रहेॅ समुद्र के शोर
लहरोॅ के संगीत अछोर
खुली केॅ खेलै लेॅ
हांसै लेॅ
नाचै लेॅ
ऊ आत्मा नांखि
जे राजसी-तामसी बन्धन से
मुक्त हुएॅ ।
होन्हौं केॅ आबेॅ
हमरोॅ लेॅ की बचलोॅ छै ई लंका में
जिनगी कथी लेॅ काटबोॅ
शंका में
सहमी-सहमी केॅ
डरी-डरी केॅ
जीते जी मरी-मरी केॅ।
हमरोॅ ऊ विश्वास तेॅ
वहा दिन मरी चुकलोॅ छै
जबेॅ हम्में देखलेॅ छेलियै
तीनो लोक
तीनो देवता
तीनो शक्ति केॅ
भयभीत करै वाला
की रं लहू सें लथपथ छेलै;
जे भुजा पर
हमरा ओतना विश्वास छेलै
ऊ टुकड़ा-टुकड़ा में
कहाँ-कहाँ गिरलोॅ छेलै
नै जानौ
तबेॅ हम्में सपनौ में
नै सोचलेॅ छेलियै
कि मृत्यु
समय पुरला पर
केकरो नै छोड़ै छै
नै देवता के
नै दानव के
तबेॅ रक्षाधिपे के केना छोडतियै ।
अच्छा होतै
कि आरो कोय विश्वास
हमरोॅ साथ छोड़ी देॅ
नीलम चट्टानोॅ के नीचें
चिर निद्रा में सुतलोॅ
हे हमरोॅ प्राण
हम्में क्षमा चाहै छी ।