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ख़तरे की घंटी / अनिल विभाकर
Kavita Kosh से
दुनिया को बांटो
जितने हिस्से में चाहो बांटो
सड़कों को बांटो
पगडंडियों को बांटो
घरों को बांटो
दिलों को बांटो
समाज को बांटो
शहरों को बांटो
गांवों को बांटो
इसी तरह पूरी दुनिया को बांटो
जहां तक हो सके बांटो
बांटो ... बांटो जल्दी बांटो
व्यवस्था बनाये रखने के लिए जरूरी है सबको बांटना
सिंहासन बचाये रखने के लिए भी जरूरी है सबको बांटना
एक राय और एक राह पर लोगों का चलना
तुम्हारे राजसिंहासन के लिए खतरे की घंटी है
बांटो, सबको बांटो, जल्दी बांटो