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ख़त तो मेरा पहुँच गया होगा / कैलाश झा 'किंकर'

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ख़त तो मेरा पहुँच गया होगा।
दर पर आया तो डाकिया होगा॥

शेर, मीटर, रदीफ सब होंगे
ग़ज़्ल होगी तो काफिया होगा।

तीरगी अब तो मिटनेवाली है
जग का सूरज भी तो नया होगा।

आँख के रास्ते उतर दिल में
दिल चुराने का वाक़या होगा।

जिनकी आँखों के अश्क हैं सूखे
ख़्वाब दिल में दफन किया होगा।

है भरोसा नहीं किसी पर भी
कोई धोखा उसे दिया होगा।