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ख़ास / पवन करण
Kavita Kosh से
काबलियत के दम पर नहीं अपनी अफसर की
चापलूसी की बल पर यह पदवी उसने पार्इ है
घण्टी बजने पर बाहर तम्बाकू रगड़ते भृत्य से पहले
अफ़सर के कक्ष में पहुँचना, अफ़सर से ज़्यादा
अफ़सर के बारे में जानकारी रखना
अक्सर बाहर से आते अफ़सर को लेने पहुँचना
अफ़सर के न चाहते हुए भी जाना उसे
करने विदा, ग़ैर-हाज़िरी में अफ़सर की
अफ़सर के बंगले की बजाते रहना हाज़िरी
करना कानाफूसी के सबसे कारक और मारक
हथियार का उपयोग जो इस दौरान ही हुआ
उसके सुभाव में अधिक विकसित और पैना
किसी ख़ास काम के लिए अफ़सर से
मिलने से पहले कितना ज़रूरी है उससे मिलना
किसी से नहीं कहा उसने, मगर
सबको लगने लगा यह है सबसे ज़रूरी
हद यह है कि दफ़्तर में लोग
अफ़सर से ज्यादा अब उससे भय खाते हैं