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ख़ुदकुशी अंजाम होकर रह गई / दीपक शर्मा 'दीप'
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ख़ुदकुशी अंजाम होकर रह गई
तिश्नगी इन्आम होकर रह गई
मैं इधर बदनाम होकर रह गया
तू उधर बदनाम होकर रह गई
एक लड़की थी शगुफ़्ता,याद है?
नाम था गुमनाम होकर रह गई
ज़िंदगी जो ज़िंदगी थी, नीमशब
मौत की हमनाम होकर रह गई
सुब्ह सी उठ्ठी किसी से थी उमेद
के अचानक शा म होकर रह गई
ये सुकूं दिन-रात मेहनत में मिटा
वो ख़लिश आराम होकर रह गई
आशिक़ी में दीप पूछो क्या हुआ,
नींद उस के ना म होकर रह गई