भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
Kavita Kosh से
ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है।
ये राजनीति का सबसे बड़ा मसाला है।
जो आपके लिये मस्जिद है या शिवाला है।
वो मेरे वासिते मस्ती की पाठशाला है।
सभी रकीब हुये ख़त्म आपके, अब तो,
वो आप ही को डसेगा मियाँ, जो पाला है।
छुपा के राज़ यक़ीनन रखा है दिल में कोई,
तभी तो आप के मुँह पे बड़ा सा ताला है।
लगे जो आपको बासी व ग़ैर की जूठन,
वही तो देश के मज़्लूम का निवाला है।