ख़्वाबों के खण्डहर / निदा नवाज़
इससे पहले कि
आने वाली पीढ़ी को
इस मौसम से
लगने लगे डर
हमें प्यार और भाईचारे के
कोमल धागों से
बुननी होगी एक ऐसी चादर
जिसको ओढ़ सकें भविष्य में
हमारे बच्चे
समय की ठण्ड और कड़ी धूप से
बचने के लिए
इससे पहले कि
जल कर राख हो जाए
हमारे दिल के कोने में बची
थोड़ी सी हरियाली भी
हमें एक साथ लड़ना होगा
यह युद
समय के दहकते
अंगारों के विरुद्ध
इससे पहले कि
बनाया जाए
हमारा एक-एक गाँव
कभी वन्दहामा*, बिजबिहरा, मड्डवा*
जलाई जाए हमारे साथ-साथ
सुहागनों के करवाचौथ पर
चाँद की प्रतीक्षा की इच्छा
मासूम बच्चों के माथे के तिलक
जनेऊ के तीन धागों में बंधा
देवताओं, ऋषियों
और पितृों के ऋण का एहसास
और बनाए जाएं गोली का निशाना
ईद-नमाज़ में झुकने से पहले ही
हमारे बुज़ुर्गों के माथे
हमें बचानी होगी अपनी पहचान
दो बन्दूकों के बीच
मरने से पहले
इससे पहले कि
छीन लिए जाएं हमसे
नींद की फटी पुरानी
चादर के साथ साथ
ख्वाबों के खंड़हर भी
छोड़ना होगा हमें अपराध
चुप रह कर ज़ुल्म सहने का
और बन जाना होगा
एक पुकार
तेज़ तलवार सी
नहीं कर सकते यदि हम उह सब
तो इससे पहले कि
आख़री हिचकी लेकर मर जाए
हमारा अंतर्मन सदैव के लिए
घोषणा करनी चाहिए हमें
अपनी मौत की
सरे संसार के समक्ष
और दर्ज़ करना चाहिए
अपना नाम
कायरों की पुस्तक के
पहले पन्ने पर.
- वन्दहामा - कश्मीर घाटी का वः गाँव जहां उग्रवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों का क़त्ले-ए-आम किया गया.
- बिजबिहरा, मड्डवा – कश्मीर और जम्मू के दो गाँव जहां फ़ौजियों ने आम लोगों और नमाज़ियों पर फायरिंग करके बहुत से लोगों को मारा.