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ख़्वाब अपने जवान रखता हूँ / महेश कटारे सुगम

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ख़्वाब अपने जवान रखता हूँ ।
हौसलों की उड़ान रखता हूँ ।।

ज़न्दगी की तमाम राहों पर,
ख़ुद को मैं सावधान रखता हूँ ।

तुम मुझे बरगला नहीं सकते,
मैं खुले आँख कान रखता हूँ ।

ज़िन्दगी की निशानदेही पर,
ख़ूबसूरत बयान रखता हूँ ।

सूर ग़ालिब कबीर तुलसी का
मैं बड़ा खानदान रखता हूँ ।

जब भी करता हूँ कोई काम नया,
फ़िक्रे हिन्दोस्तान रखता हूँ ।

मेरे इक हाथ में है रामायण,
दूसरे में कुरआन रखता हूँ ।

मौत की मुझसे बात मत करना,
मैं हथेली पै जान रखता हूँ ।

12-01-2015