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ख़्वाहिशों को ज़रा क़रार आए / प्राण शर्मा

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काँटों पर भी ज़रा निखार आए।
काश, ऐसी कभी बहार आए।

ऐसे बोले वो सामने सबके।
जैसे हर शर्म को उतार आए।

कुछ कमी न्योते में रही होगी
जश्न पर लोग बस दो-चार आए।

कामयाबी पे यार की यारो
क्यों किसी यार को बुख़ार आए ।

आओ कुछ देर "प्राण" सो जाओ
ख़्वाहिशों को ज़रा क़रार आए।