♦ रचनाकार: अज्ञात
यह गीत भी राम तथा उसके भाइयों के जन्म से सम्बद्ध है। इसमें जन्म के समय ही पंडित द्वारा राम के वनवास और भरत के रोजभोग की भविष्यवाणी की गई है।
खाट सुतल राजा दसरथ, पटिया<ref>खाट की पाटी; पायताने</ref> कोसिला रानी रे।
घर पिछुआर में मुनि बसै, औरो पंडित लोग रे॥1॥
जरि<ref>जड़ी-बूटी</ref> एक दिअउ कोसिला रानी, रहती गरभ सेॅ रे।
बटा<ref>बड़ा कटोरा</ref> भारी पियलन कोसिला रानी, औरो सुमितरा रानी रे।
सिला धोइ पियलन कंकइ रानी, तीनो गरभ सेॅ रे॥2॥
पहिले जलम भेल रामचंदर, तखन<ref>उसके बाद</ref> भरथ राज रे।
तखन जनमल बाबू लछुमन, तीनों घर सोहावन रे॥3॥
केओ<ref>कौन</ref> एहो राज भोगत, केओ बन जायत रे।
राम के लिखल बनवास, सँगे भैया लछुमन रे।
भरथ एहो राज भोगत, हुनके<ref>उन्हें ही</ref> राज लिखल रे॥4॥
शब्दार्थ
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