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खामोश / इमरोज़ / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
रंग भी खामोश और कैनवास भी
तो र खामोश पेंटिंग ही बनती है
मोनालिसा की खामोश मुस्कराहट
खूबसूरत है बहुत खूबसूरत
पर शब्द
न ख़ामोशी देख सकते
न ही पढ़ सकते ….
मुहब्बत भी खामोश और ज़िक्र भी
मुहब्बत सिर्फ ज़िन्दगी बनती है
न लिखत बनती है न बोल …
पोइट्री भी खामोश और पहचान भी
नज्में बहुत
पर किसी किसी के नज़र में ही
पोइट्री चमकती है