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खिल रहा चान्द लटक रहे तारे / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
खिल रहा चान्द लटक रहे तारे चल चन्दरावल पाणी
कैसे भर लाऊं जमना जल झारी
सासड़ की जाई मेरी ननद हठीली रात ने खंदा दई पाणी
कैसे भर लाऊं जमना जल झारी
उरले घाट मेरा घड़ा न डूबे परले किसन मुरारी
कैसे भर लाऊं जमना जल झारी
क्यांहे की तिरी ईंढली गुजरिया प्यारी क्यांहे की जल झारी
कैसे भर लाऊं जमना जल झारी
अन्दन चंदन की ईंढली कन्हैया प्यारे सोने की जल झारी
कैसे भर लाऊं जमना जल झारी