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खुड़पेड़िया / जलज कुमार अनुपम
Kavita Kosh से
सड़क पर सब केहू द उड़े
खुड़पेड़िया समय बचावेले
सांप नीहर ई छिलबिल छिलबिल
सबका मन के भावेले
उबड़ खाबड़ ऊँच नीच
जीवन हमनी के सिखावेले
मंजिल पर बिन समय गँववले
ई सभका के पँहुचावेले।
लालच बढ़ल अ इसन
डरेर बनत गइल छोट
मिट गइल खुड़पेड़िया