खुद़ को इतना ख़राब मत करना
तू उसे बेनक़ाब मत करना
कोई गैऱों को कुछ नहीं देता
अपनों से कुछ हिसाब मत करना
टूटे दिल का इलाज क्या होगा
मुझपे ऐसा अज़ाब मत करना
आग लगने लगे जिसे सुनकर
फ़ैसला वो जनाब मत करना
चाहे कुछ भी 'तुषार' मिलता हो
अपनी नीयत ख़राब मत करना