मेरे हाल-ए-अक़्ल का भला कोई गवाह क्यूँ हो
किसीके फैसले-ए-ज़िन्दगी इतनी सलाह क्यूँ हो
कह दो जो है कहना- कोई कितना बदगुमाँ हो
खुदी पे गर हो भरोसा, तो फिर परवाह क्यूँ हो

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