खुशी गुनगुनाती तराना रहे।
दुखी मत कभी भी जमाना रहे॥
मेरे देश से जो करे दुश्मनी
जहाँ में न उसका ठिकाना रहे॥
स्वयं के लिये सोचते हों मगर
सदा फ़र्ज़ अपना निभाना रहे॥
न बेघर कोई हो जहाँ में कभी
सभी के लिये आशियाना रहे।
मिले मुफ़लिसों को न रोटी जहाँ
वतन वह सदा दरमियाना रहे॥
मुहब्बत से मिलके गले सब जियें
ये अंदाज सबको सिखाना रहे॥
जहालत को इज़्ज़त मिले जिस जगह
वहाँ क्यों कोई भी सयाना रहे॥