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खुशी / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
दृश्यों के विस्तार में
सिमटी रहती है
सपाट जल-तल के नीचे
बस एक कंकडी
और किल्लोल लहरों का
छू लेता है तट
फिर
वही एकालाप
लम्बा-सफेद-स्याह।