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खोजला सें मिलिये जाय छै / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

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खोजला सें मिलिये जाय छै दिलदार कोय-नी-कोय।
धारोॅ में बनिये जाय छै पतवार कोय-नी-कोय।

विश्वास-भरोसोॅ कहीं बेकार होलोॅ छै?
दुर्दिन में करिये दै छै उपकार कोय-नी-कोय।

असहाय केॅ, बेदम केॅ, जलन-टीस वाला केॅ
गिरला केॅ सम्हारै छै दमदार कोय-नी-कोय;

मूँ सुखलोॅ, आँख भिजलोॅ ठोरोॅ के पटपरी
देखी केॅ भरिये दै छै पुचकार कोय-नी-कोय!

दुनियाँ सें नै गेलोॅ छै सराफत-दया-गरान
आदमी केॅ मिलिये जाय छै हठठकार कोय-नी-कोय!