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खोना / कार्ल सैण्डबर्ग / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अकेला और उजाड़
सारी रात रहा मैं झील पर।
जहाँ छाया रहता है
कुहासा
और धीमे-धीमे रेंगती है धुन्ध
लगातार
रोती-चीख़ती रहती हैं
कश्तियों और बजरों की सीटियाँ
मुसीबत में पड़े
किसी खो गए
बच्चे की तरह रोते हुए
बन्दरगाह की छाती
और उसकी आँखों का
शिकार करते हुए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Carl Sandburg
Lost
Desolate and lone
All night long on the lake
Where fog trails and mist creeps,
The whistle of a boat
Calls and cries unendingly,
Like some lost child
In tears and trouble
Hunting the harbor's breast
And the harbor's eyes.