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खौफ अब आतंक का जड़ से मिटाना चाहिए / सुनील त्रिपाठी
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खौफ अब आतंक का जड़ से मिटाना चाहिए.
नीड से भटके खगों को, फिर बसाना चाहिए.
हादसे हों नित नये, पैमाइशों पर धर्म की।
खेल ऐसा अब न बच्चो को सिखाना चाहिए.
अनुसरण तो बुद्ध के, उपदेश का यूँ ठीक है।
सूत्र पर चाणक्य के भी, आजमाना चाहिए.
साधुता से दुर्जनों को, जीतना है नीतिगत।
किन्तु फल जैसे को' तैसा भी चखाना चाहिए.
राजनैतिक हों भले, मतभेद दल गत लाख पर।
राष्ट्र मुद्दों पर सभी को, साथ आना चाहिए.
युद्ध जब स्वजनों के' सँग हो और पैदा मोह हो।
ध्यान गीता सार पर हमको लगाना चाहिए.