भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख्यालों की मुंडेरों पर / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो-
ख्यालांे की मुंडेरों पर
नये गीत
लिखते हैं।

प्रेम से
गुनगुनाते हैं
उस के
सुमधुर
मीठे-मीठे बोल।

मन आनंदित हो
हवाएँ हर्षित हो
दुःख की बदली
छट जाये।

आओ,
विक्षुब्ध ज़िन्दगी में
उत्साह के पुष्प उगायें।