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ख्यालों की मुंडेरों पर / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
चलो-
ख्यालांे की मुंडेरों पर
नये गीत
लिखते हैं।
प्रेम से
गुनगुनाते हैं
उस के
सुमधुर
मीठे-मीठे बोल।
मन आनंदित हो
हवाएँ हर्षित हो
दुःख की बदली
छट जाये।
आओ,
विक्षुब्ध ज़िन्दगी में
उत्साह के पुष्प उगायें।