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गंग गोदावरी ओ नदी नार पहार निहार रहे चहुँ ओरी / महेन्द्र मिश्र

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गंग गोदावरी ओ नदी नार पहार निहार रहे चहुँ ओरी।
सुक सारिका मोर चकोर तुहूँ पिक बैनी सुनावत धूम कियो री।
मृगवृन्द चराचर से बिनवों खगवृन्द सभी मिमि बात सुनो री।
दास महेन्द्र की आस लगी कहीं देखे हवो मिथिलेश किशोरी।