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गठरी / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
वह औरत
सिर पर गठरी लादे
चल रही है
औरत के वजन के करीब है
गठरी का वजन
सीधे नहीं पड़ रहे
उसके कदम
पर वह चल रही है
बरसों से
बिना रुके
बस जब थकती है तो
हाथ कमर पर रख लेती है!