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गढ़बै नया बिहार / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

खेत-खेत हरियाली झुमतै
सरसों, गेहूँ बाली।
भुट्टोॅ देतै ताव मूँछ पर,
बजाय-बजाय के ताली।

बसमतिया चावल के तसमै चलतै धुवाँधार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

बिजली बत्ती भक-भक करतै
छुक-छुक चलतै रेल।
आसमान में उड़बै हम्हूँ
जीतबै सब्भे खेल।

बाग-बगीचा कोयल कू-कू, भ्रमर फूल गुंजार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

कपड़ा लत्ता कमी न रहतै,
नैं दहेज रऽ नाम।
रामराज केऽ सपना पूरा
करतै हर इन्सान।

जल सें, थल सें, आसमान सें करबै फिर व्यापार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

मुन्ना निर्भय पढ़ी केऽ अयतै,
पूआ-पूड़ी घरऽ में खैयतै।
मुनियाँ इसकुल कॉलेज जयतै,
साइकिल, मोटर खूब चलैतै।

घर दरबाजा चकमक करतै, रहतै सदाबहार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

मुखिया, अफसर काम करैथिन,
घूस घास केऽ नाम मिटैथिन।
मंत्री गाँव-गाँव में घुमथिन।
गले-गले मिल दुःख सुख सुनथिन

डी.एम., एस.पी. देथिन हमरौह सुन्दर सन उपहार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

पी.एम., सी.एम. धरती चलथिन,
साथ-साथ विधायक, एम.पी.।
पुलिस, सिपाही ड्योटी करता,
कोय नैं करतन चम्पी।

प्रजातंत्र रऽ बजतै डंका, देखतै भर संसार।
हिली-मिली केऽ आबऽ हमसब गढ़बै नया बिहार,
अमन चैन केऽ वंशी बजतै, होयतै नित त्योहार।

-अंगिका लोक/ जुलाई-सितम्बर, 2010