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गमे-गमे गाम हमर शहर बनल जाइए / रामदेव झा
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गमे-गमे गाम हमर शहर बनल जाइए
आब मान्य नित दिन अकरहर बनल जाइए।
गढ़ल मढ़ल नेह गेह झहरि झहरि खंघरि रहल
गामक अपराहु आब महर बनल जाइए।
टोल-टोल गच्छ-गोल हीत-मीत तोड़ि छोड़ि
नीर-क्षीर फरक होइत जहर बनल जाइए।
हेम-क्षेम प्रीति रीति भरल सरस धार प्रकृत
रोकि छेकि उच्च-बुच्च छहर बनल जाइए।
घोर तमस बद्ध विवश मुक्ति किरण रेखा लय
आस-बाट तकइत पल पहर बनल जाइए।