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गम से रिश्ता मेरा जोड़ कर रख दिया / विष्णु सक्सेना
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गम से रिश्ता मेरा जोड़ कर रख दिया।
आपने मेरा दिल तोड़ कर रख दिया।
ये तो तय था मुझे तुम पढोगे नहीं
फालतू में वरक मोड़ कर रख दिया।
उसने समझा दिया ज़िन्दगी का सबक़
सामने बुलबुला तोड़ कर रख दिया।
प्यार में अब वह गर्मी नहीं इसलिए,
शाल उसने लिया, ओढ़ कर रख दिया।
प्यार ने आरज़ुओं के सैलाब का
एक इशारे में रुख मोड़ कर रख दिया।