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गया वह दूर नज़र से मगर जुड़ा तो रहा / कैलाश झा 'किंकर'

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गया वह दूर नज़र से मगर जुड़ा तो रहा
मिलन की आस रही दिल में हौसला तो रहा।

कभी किसी से नहीं माँगने गया कुछ भी
इसीलिए तो भरोसा ज़रा बचा तो रहा।

कसम खुदा कि कभी उससे मैं मिला ही नहीं
मगर समाज को मुझसे सदा गिला तो रहा।

बड़ा अजीब वह शायर था सच कहा करता
मुझे ख़ुशी है मेरा उससे वास्ता तो रहा।

जिधर भी जाती नज़र आप ही नज़र आते
खुशी है आज तलक प्रेम खिलखिला तो रहा।

हरेक दिल में ख़ुशी छाए तो समझ लीजै
सभी के दिल में ज़हाँ से भी आशना तो रहा।