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गय खुशबू / कालीकान्त झा ‘बूच’

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बाबा मालबावू नाना छौ कमाल बाबू गै
पप्पाा रोकड़ि‍या लग नानी मारौ टाल बाबू गै
बाबा खाति‍र चाहक गि‍लास
लबलब लबनी नाना पास
नानी चुक्काू ढारौ बान्हिा‍-बान्हिल‍ रूमाल बाबू गै
बाबा लेलनि‍ माँछे कीन,
नाना खेलनि‍ मुँरगा तीन
नानी भनसा घरमे लगा रहल छौ ताल बाबू गै
बाबा वॉचथि‍ वेद पुरान
नाना पढ़थि‍ नेवाज कुरान
नानी मुल्ला जीसँ पूछि‍ रहल छौ हाल बाबू गै
नाना भोरे भगला बाहर
नानी सॉझे पहुँचलि‍ ठाहर
ई सभ कहए आएल वि‍द्याधर आ लालबाबू गै