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गरमी की लू जमाती 'लप्पड़' करारा सा / नवीन सी. चतुर्वेदी
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घनाक्षरी छन्द -
षडऋतु वर्णन -
गरमी की लू जमाती 'लप्पड़' करारा सा
पावस में नाचता है, तन-मन तक-धिन,
शरद का चंद्र लगे, सबको दुलारा सा|
हेमन्त खिलाये गुड - संग बाजरे की रोटी,
शिशिर में पानी लगे, हिमनद धारा सा|
वसंत की ऋतु है जो, कहें उसे ऋतुराज,
धरती की माँग बीच, लगे ये सितारा सा|
हापुस खिलाने हमें, गरमी आती है पर,
गरमी की लू जमाती - 'लप्पड़' करारा सा||