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गरम पकौड़े / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सुबह-सुबह से गरम पकौड़े,
आज बनाए अम्मा ने।
थाली में रख बड़े प्रेम से,
मुझे खिलाए अम्मा ने।
खट्टी-मीठी चटनी भी थी,
पीसी थी खलबट्टे पर।
किशमिश वाले गुड़ के लड्डू,
मुझे चखाए अम्मा ने।
बहुत दिनों से देशी कपड़े,
पहनूं मेरी इच्छा थी।
कुरते और पजामें सूती,
मुझे सिलाए अम्मा ने।
कभी-कभी जब मैं ने ज़िद की
होटल जाकर खाने की।
डांट-डांटकर हंसकर मेरे,
कान हिलाए अम्मा ने।
जब-जब भी भरपूर खिलौने,
लेने की हठ कर बैठा।
बड़े प्रेम से खुशी-खुशी से,
मुझे दिलाए अम्मा ने।
मेरी इच्छा कि वीणा को,
बनकर सरगम, संगत दी।
मेरे सुर में अपने सुर हर,
बार मिलाए अम्मा ने।