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गरीबा / राहेर पांत / पृष्ठ - 4 / नूतन प्रसाद शर्मा

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शांति साथ मुख्यमंत्री बोलिस -”छेरकू हा निकलिस गद्दार
देश के गुप्त रहस्य ला बेचिस, करे हवय विश्वास के घात।
ओकर पोल हा टकटक खुलगे, जब आइस पकड़ाय के टेम
छेरकू दूसर देश भगागे, कहां बसत तेहर अज्ञात।”
डेंवा भभक जथय गुस्सा मं, रोष बढ़ा के कहिथय जोर –
“तुम नेता मन स्वार्थी होथव, अपन लाभ बर बेचत देश।
जनता ला तुम उभरावत हव – काम करव रख सत ईमान
पर खुद गलत राह रेंगत हव, कथनी करनी मं कइ भेद।”
शांति साथ मुख्यमंत्री बोलिस -”जे मनसे पर हे सब दोष
ओहर इहां उपस्थित नइये, तोर बात जावत बेकार।
तंय हा गारी देवत हस भिड़, उग्र करत हस अपन दिमाग
एकर ले सब काम हा बिगड़त, आय समस्या हल नइ होय।
तुम्मन बांध बनाये चाहत, एकर बर हम करन उपाय
शासन ले देवात मंय रुपिया, अपन कोष के रुपिया देत।
मनखे प्रमुख इहां पर हाजिर, धन ले सक्षम जे इन्सान
ओमन घलो मदद ला देवंय, उंकर पास मं जतका शक्ति।
जतका अस ग्रामीण पधारे, सब झन करव अर्थ सहयोग
एकर बर टरके झन बेरा, काम करव तुम तातारोस।”
“चेक’ मुख्यमंत्री हा फाड़िस, पहिली शुभ मुहूर्त कर दीस
ओकर पाछू सब झन रेंगिन, रुपिया दीन शक्ति अनुसार।
रुपिया दिस उद्योगी मंगलिन, एकर बाद किहिस रहि धीर –
“हम्मन हा उन्नति पाये बर, रुपिया जोड़त हन दिन रात।
जनता हमर नमूसी करथय, बना देत शोषक गद्दार
स्वार्थी – खून चुसइया – लुटेरा, करत हमर पर कइ आक्षेप।
बात शत्रुता के सुनथन तब, हमला घलो चढ़त हे रोष
तंहने श्रमिक हा भूख मरय कहि, हम्मन करत क्रूर अस काम।
तुम्मन अभी मदद मांगे हव, हम कर देन अर्थ के दान
हमर साथ यदि मधुर मिलापा, हम हा तुम्हर अभिन्न मितान।
तुम मनसे अव – हम मनसे अन, मन ला बांट के राखन प्रेम
आज असन यदि मिट्ठी कहिहव, तुम्हर मांग हम करबो पूर्ण।”
तभे मुख्यमंत्री हा देखिस, बाबूलाल हे दुखी उदास
ओला अपन पास बलवाथय, करिस निलम्बन रद्द तड़ाक।
बोलिस -”तंय हा रेहे निलम्बित, मगर अपन पद पर फिर बैठ
बांध के काम ला पूरा करवा, लेकिन एक बात रख याद-
भ्रष्टाचार भूल झन होवय, सब रुपिया के सद उपयोग
अगर काम हो जात सफलता, हमर तुम्हर जस होहय खूब।”
बाबूलाल कथय हर्षित मन – तोर बात मोला स्वीकार
मंय-डेंवा-ग्रामीण जतिक अस, मिलजुल के करबो सब काम।
एमां सबके अर्थ लगत हे, सब के तिर मं रहय हिसाब
तब फिर गलत काम नइ होवय, बांध बने के काम हा पूर्ण।”
जावत हे मुख्यमंत्री वापिस, डेंवा चलिस गांव के ओर
पलटिन बइसाखू अउ गरीबा, ओमन गिन शादी के ठौर।
किहिस गरीबा, बइसाखू ला -”हम नेता पर डारत दोष
पर सब नेता एक असन नइ, होथय अंतर उंकरो बीच।
छेरकू मंत्री स्वार्थ पूर्ति बर, बेचिस देश के इज्जत शान
जे जनता देइस ऊंचा पद, छेरकू उही ला धोखा दीस।
मगर मुख्यमंत्री ला देखव – उहू व्यक्ति हा नेता एक
रुके काम ला पूर्ण करावत, जनता ला देवत हे साथ।”
बइसाखू सच तथ्य ला राखिस -”नेता ला कहिथन बइमान
लांछन डार निकालत गल्ती, करत बुराई अवगुण खान।
नेता मंत्री जनप्रतिनिधि मन, होथंय शांत धीर गंभीर
उंकर बुराई निंदा होथय, पर ओमन देवंय नइ ध्यान।
ओमन ला बेकलाम कहव अउ, जाव मदद बर नेता पास
लेकिन ओमन नइ दुतकारंय, देवत मदद रंज ला भूल।”
इंकर बात मं आड़ परत अब, बढ़त चलत मनखे के भीड़
दूल्हा ला मोहाय अस देखत, ओमन ला नइ घर के याद।
जमों बरतिया ला परघाइन, दिन जेवनास उंकर धो – गोड़
सारी हा “लाल भाजी’ खवाइस, भांटो हा हारिस सब होड़।
फेर बरतिया मन जेवन लिन, पतरी पर रख खाद्य पदार्थ
रीति रिवाज चलत सादा अस, सुघ्घर अक बिहाव के नेंग।
वर वधु ला बइठारिन संघरा, अपन शक्ति तक टिकत टिकान
पंखा झलत मांई लोगन मन, गाना गावत उंकर जबान-

“हलर हलर मड़वा हालय ओ दाई
खलर खलर दाइज परय
सुरहिन गैया के गोबर मंगइले दाई
खूंटी धर अंगना लिपइ ले ओ
गजमोतियन कर चौंके पुरइ ले ओ दाई
सोने के कलश जलइ ले ओ
कोन देवथे धेनु गाय ओ
कोन टिकथे कनक थारी ओ
दाई तोर टिकथे अचहर पचहर
दाई भइया देवथे धेनु गाय ओ
ददा टिकथे मोर लिली हंसा घोड़ा दाई
दीदी भौजी टिकथे कनक थार ओ।

वर वधु मन अब भांवर किंजरत, दुकली रेंगत चांटी चाल
दसरू मांग भरिस दुलहिन के, सात बचन ला हृदय सम्हाल।
वर वधु के कारण मं होगिस, गांव शहर मं मधुर मिलान
इंकर बीच मं प्रेम मिलापा, देश के सरलग मान विकास।
दुकली हा ससुरारे जावत, ओकर बिदा के आगे टेम
हितू पिरीतू मन हा कलपत, रोवत हें आंसू ला ढार।