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गरीब देश-2 / पवन करण
Kavita Kosh से
आप मेरी भूख से ज़्यादा
मेरी बीमारी पर बात करते हैं
मुझे कौन सी बीमारी है
यह भी आप ढूँढ़ लेते हैं
बीमारी में मेरी ज़रूरतें
क्या होंगीं ये आपकी
कँपनियाँ तय कर लेती हैं
हवाई-जहाज़ों में भरकर
दवाइयाँ आती हैं और मेरे मुँह में
ठूँस दी जाती हैं मैं उनमें रोटियाँ
और मेरे बच्चे दूध बिस्कुट ढूँढ़ते हैं
मैदान ओैर गलियाँ
गर्भ-निरोधकों की एक्सपायरी से
भरे पड़े हैं मेरे
हथियारों की जगह जो
रोटियों से हल हो सकती हैं
मेरे भीतर फैली वह लड़ाई
तुम्हें नज़र ही नहीं आती