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गळगचिया (40) / कन्हैया लाल सेठिया
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काळजा मोत्याँ‘रा ही बिंधीजै सिर नारेळाँ‘रा ही फुटीजै, डील तिलाँ‘रा ही घाणी में पेलीजै फेर तूँ आँ स्यूँ किस्यो न्याऊ है जको सोरै साँसाँ ही छूट ज्यासी ।