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गळगचिया (44) / कन्हैया लाल सेठिया

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कुम्हार घड़ो ल्यायो लेवाळ ठोक बजा, एक आँख मींच'र माँय नै स्यूँ देख र बोल्यो-काम को कोनी पीदै में एक मीयू सो'क बेजको है। लुहार चालणी ले'र आयो-गाहक उलट पुलट देख र बोल्यो-सांतरी है, बेजका मोेकळा है चीज सोरी छणसी।