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गळयाँ गाँव रे बारै निसरतां ही / कन्हैया लाल सेठिया
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गळयाँ गाँव रै बारै निसरतां ही
गेलो बणगी,
एक नै बणाण खातर सगळी
मतै ही भजणगी !