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गवाही / विमल कुमार
Kavita Kosh से
तुम बोलोगी नहीं
सुनोगी नहीं
जो कुछ मुझे कहना था गवाही में
मैंने इस दर्पण को कह दिया है
यही है एकमात्र गवाह
मेरे अपराधों का
पापों का
झूठ का
छल का
इससे बचकर मैं कहाँ जाता
इसलिए मुझे जो कुछ कहना था
मैंने उससे कह दिया है
मैंने अब तक तुमसे
अपने जीवन में कुछ भी नहीं लिया है
तुम्हें मैंने
बिना माँगे अपना प्यार दिया है
झूठ नहीं था उसमें रत्ती भर मिला
सच था, जितना वक़्त मैंने तुम्हारे साथ जीया है
बता दो, मेरा अपराध
फिर देना सज़ा
आख़िर मैंने क्या किया है