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गवैया / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़

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चूँकि खिलखिला रहा हूँ मैं
और मेरा गला है मद्धिम गान से
तुम कहाँ सोच पाते हो
मैं पीड़ित हूँ

लम्बे समय तक
अपने दर्द को
सहेजा मैंने?

चूँकि खिलखिला रहा हूँ मैं
तुम कहाँ सुन पाते हो
मेरे भीतर का क्रन्दन?

चूँकि उन्मादित नृत्य
कर रहे हैं मेरे पैर
तुम कहाँ जान पाते हो
मैं हो रहा हूँ समाप्त?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’