भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गहरे और हरे समुद्र में / सुरेन्द्र स्निग्ध
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
हरियाली की
अजस्त्र धारा में नहाकर
साफ़ सुथरी कविता की तरह
दिख रहे हैं त्रिपुरा के गाँव
छोटे-छोटे घर
छोटे-छोटे बच्चों की तरह
जँगल के झुरमुटों से
झाँकते हैं ।
उमग रहा है हरापन
इसे सँगीत की गति देते हैं
झूमते हुए दूर तक फैले धान के खेत ।
जंगलों, खेतों और
जगह-जगह झाँकते सफ़ेद तालों से
पैदा हो रही है लोक लय
लोक राग और श्रम की अजस्त्र धारा
से नहा रही है त्रिपुरा की धरती
इसकी लय पर
थिरक रहे हैं
आदिवासी युवक युवतियों के पाँव ।
गहरे और हरे रँग का समुद्र है
त्रिपुरा का शहर अगरतला
इस गहरे और हरे समुद्र में
असँख्य लाल सूरजों की तरह
दमक रहे हैं रक्ताभ झण्डे ।
नहीं,
कभी नहीं
इस समुद्र में कभी नहीं उतर पाएगा
निशाचर अन्धकार ।