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गहवर जननी केर / कालीकान्त झा ‘बूच’
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चमकि रहल चकमक औ, गहवर जननीकेर
देखिते टूटल भक औ गहवर जननीकेर
गुंबज गगन दिशा देवाल अछि
पंडा बनि कऽ ठाढ़ काल अछि
चान सुरूज दीपक औ गहवर जननीकेर ..
पदतल परल स्वयं शिव शंकर
नारायण सूतल सुअंक पर
विधि व्याकुल ठकमक औ गहवर जननीकेर...
गगनक गंगा चन्द्रकूप अछि
उषा किरण ओढ़ुल अनूप अछि
सकल भुवन पूजक औ गहवर जननीकेर...
टप- टप सुधा चरण सँ चूबय
वरद हस्त सुत मस्तक छूबय
फलप्रसाद परिपक औ गहवर जननीकेर ..