भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ग़ज़ल-दो / रेणु हुसैन
Kavita Kosh से
हादसा-सा हो गया
एक लमहा खो गया
राह तो मुश्किल नहीं थी
सफ़र मुश्किल हो गया
आईना तो मिल गया पर
अपना चेहरा खो गया
आस्मां थोड़ा बरसकर
आंसुओं को धो गया
उसको कोई मिल गया
हमसे कोई खो गया
लहर को साहिल मिला
पर समंदर खो गया
जाने वो कैसी खुशी थी
दिल हमारा रो गया