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ग़मों को दूर भगाओ, बड़ी उदास है ये रात / कैलाश झा 'किंकर'

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ग़मों को दूर भगाओ, बड़ी उदास है ये रात
ज़रा-ज़रा-सी पिलाओ, बड़ी उदास है ये रात।

सुना कि वह भी मुझे ख़ूब प्यार करते हैं दिल से
जरा पता तो लगाओ, बड़ी उदास है ये रात।

तमाम उम्र मेरी इन्तजार में न गुजारो
नज़र की प्यास बुझाओ, बड़ी उदास है ये रात।

 बसंत की ये सुबह-शाम-रात की है पहेली
गुलाब मन में खिलाओ, बड़ी उदास है ये रात।

दिलों की बात ज़माने को क्यों अखड़ती रही है
हिसाब दिल का लगाओ, बड़ी उदास है ये रात।