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ग़ाफ़िल अखि / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

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सवारियुनि सां सथियल आहे
तॾहिं पुणि
रेल गाॾी
छा न खाली!
ग़ज़ब जहिड़ी अकेलाई!!

वॾो
लंबो सफ़र... बेहद
मगर मन... सूट केसनि में!!!

वणनि
वाहनि
नज़ारनि
टेशनि ते टेशनि निकरी वञण खां
अखि... बिनह ग़ाफ़िल!
ॾिसी...
कोई...
ॿुधाए।