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गाँमे पछिमे ठूठि पाकरि, हे ठूठि पाकरि / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाँमें पछिमें ठूठि पाकरि<ref>पाकड़</ref>, हे ठूठि पाकरि।
मितबा<ref>मित्र; यार; यहाँ पति से तात्पर्य है</ref> खेलै सिकार, कि तेहि रे तरि<ref>उसके नीचे</ref>॥1॥
कौने के हाथे गनेलबा<ref>गुलेल</ref>, हो गुनेलबा।
कौने हाथे तलबार, कि तेहि रे तरि।
मितबा खेलै सिकार, कि तेहि रे तरि॥2॥
मितबा के हाथे गुनेलिया, हो गुनेलिया।
भैंसुरा के हाथे तलबार, कि तेहि रे तरि॥3॥
भैंसुरा के जोरबै<ref>जोड़ँगा</ref> बरेछिया<ref>बरछी; एक प्रकार का भाला</ref>, हो बरेछिया।
मितबा के जोरबै गुनेल, कि तेहि रे तरि॥4॥
ससुरा के जोरबै बरेछिया, हो बरेछिया।
भैंसुरा के जोरबै तलबार, कि तेहि रे तरि॥5॥
हमर ऐंगन<ref>आँगन में</ref> हेतऽ, नितबा<ref>नित्य; प्रतिदिन</ref> हो नितबा।
मितबा खेलै सिकार, कि तेहि रे तरि॥6॥

शब्दार्थ
<references/>